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आइये सीखें कहीं भी निवेश करने से पहले किन किन बातों का हमें ध्यान रखना चाहिए!
1. नियामक संस्था (Govt. Regulatory Body)- हम जिस किसी भी प्लान या स्कीम में निवेश करते हैं! वो किसी न किसी कम्पनी या बैंक से जुडी होती हैं और वो कम्पनी या बैंक किसी सरकारी नियामक संस्था या सरकार द्वारा नियुक्त नियामक संस्था के आधीन होती है! जो उन कंपनियों व्बैंकों के कामकाज पर निगरानीं रखती हैं! उनके काम करने के तौर तरीके व्नियमतय करती हैं और उन्हें काम करने व्शाखा खोलने का लाइसेंस देती है! और समय – समय पर निरिक्षण करती है! और कोई गलती या नियमों का उलंघन पाए जाने पर जुर्मान लगाती है और किसी गंभीर उलंघन पर लाइसेंस तक रद कर देती है! इसलिए जो भी चिटफण्ड कंपनियां होती हैं वो किसी भीं नियामक संस्था के आधीन नहीं होती यानी वो किसी नियामक संस्था की निगरानी में नहीं होती, ऐसे में उन पर किसीका नियंतरण नहीं होता! ऐसी कंपनियां आए दिन खुलती व्बंद होती रहती है और निवेशकों के खूनपसीने के पैसे लेकर रफूचक्कर हो जाती हैं या सालोंसाल उनके खिलाफ न्यायालय में केस चलता रहता है! आप ऐसी कंपनियों से भलीभांति अबगत हैं! और लोग बिना सोचे समझे ऐसी कंपनियों के एजेंट बन जाते हैं और भोले भाले लोगों का पैसा इन में फंसा देते हैं!
हमारे देश में निवेश से जुडी मुख्य सरकारी नियामक संस्थाएं इस प्रकार हैं
(a)रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI)- जो किस भी सरकारी और प्राइवेट बैंको की नियामक संस्था है!
जो बैंको को काम करने के लिए लाइसेंस देती है और इन पर अपना नियंत्रण व्निगरानी रखती
है! सरकारी या प्राइवेट बैंको से जुडी ग्राहकों की शिकायतों को RBI दो आरा नियुक्त बैंकिंग
लोकपाल देखती है यहाँ पर आप अपनी शिकायत दे सकते हैं!
(b)भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA)- जो किस भी सरकारी और प्राइवेट
जीवन बीमा कंपनियों की नियामक संस्था है! जो इन्हें काम करने के लिए लाइसेंस देती व् इन
पर नियंत्रण और इनकी निगरानी करती है! इनसे जुडी शिकायतों को इरडादोआरा नियुक्त
बीमा लोकपाल देखता है!
(c)भारतीय डाक भारत सरकार के सुचना मंत्रालय के आधीन है! इससे जुडी शिकायतों को डिपार्टमेंट
ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेटिवरिफॉर्म्स एंड पब्लिक ग्रेवियंसेस (Department of Administrative
Reforms and Public Grievances) देखता है!
(d) पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (PFRDA)- जोकि राष्ट्रीय
पेंशन प्रणाली की नियामक संस्था है!
(e)सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI)- ये शेयर बाज़ार की कंपनियों, ब्रोकर्स, म्यूच्यूल
फंड्स और शेयर बाज़ार से जुडी गतिबिधियों की नियामक संस्था है! इनसे जुडी शिकायत सीधे
सेबी में या NSE और BSE में भी की जा सकती है!
2. तरलता (LIQUIDITY)- यानी कभी भी जरुरत या किसी भी मुश्किल समय में जरुरत के
अनुसार पैसे निकालने की सुविधा जिस किसी स्कीम या प्लान में मिले और कम से कम शुल्क
लगे या फिर कोई शुल्क न लगे बहां निवेश करना!
3. महंगाई(INFLATION)- निवेश करते समय महंगाई को बिलकुल भी नज़रअंदाज़ न करें क्योंकि
ये एक अदृशय राक्षस के समान है जो दिखाई तो नहीं देता परन्तु हम सब इसका बहुत गहरा
व्बुरा प्रभाव पड़ता है! ये कुछ न किये विना हमारे खूनपसीने के पैसों को कम कर रहा है!
1985 में FD, RD, PPF या MIS इत्यादि पर लगभग 12% ब्याज मिलाकर ताथा और पैसे
5 से 6 साल में दुगने हो जाते थे! आज 2017 में ब्याज दर 6%-7% रह गया है और हमारे
पैसे अब लगभग 12 साल में दुगने होंगे! 1985 से 2017 तक 32 सालों में जो ब्याज दर
12% से 6% तक गिरी वो इतिहास में कभी बापिस 10%, 11% या 12% नहीं हुई, वो बस
गिरती चली गई!
आने वाले कुछ सालों में ये गिरकर 4% से 2% रह जाएगी! आज एशिया में CHINA एक
विकसित देश है और बहां यही ब्याज दर 2.5% है! USA , BRITAIN, FRANCE,
GERMANY, JAPAN और ITLY जैसे विकसित देशों में ये व्याज दर 2% से भी कम है!
INDIA भी कुछ ही सालों में विकसित देशों की श्रेणी में पहुंच जायेगा! अगर व्याज दर 4%
रह गयी तो हमारे पैसे 18 साल में दुगने होंगे और अगर 2% रह गयी तो पैसे 36 साल में
दुगने होंगे!
अगर हम ऐसे ही FD, RD, PPF, INSURANCE या MIS इत्यादि में ६ से ७ % ब्याज दर
पर निवेश करते रहे तो आने वाले १५ से २० सालों में हमें जो पैसा मिलेगा, महंगाई की बजह
से उसका मुलाय बहुत कम रह जायेगा और हम चाहकर भी उस पैसे से अपनी जिम्मेबारियाँ
नहीं निभा सकेंगे! इसलिए हमें बहां निवेश करना है जो आने वाले समय में हमारी जरूरतों को
पूरा कर सके! यहाँ हमें सेविंग और निवेश में अंतर समझना होगा! हमें समझना होगा कि भिन्न भिन्न उपलब्ध स्कीम या प्लान क्या हैं, उन्हें कैसे इस्तमाल करना है या सच में मुझे उसकी जरुरत भी है या एजेंट अपने लाभ मात्र के लिए हमें बेच रहा है!
4. कर (TAX)- एक तरफ गिरती ब्याज दरें और बढ़ती महंगाई दर और ऊपर से जो थोड़ा बहुत ब्याज हमें SAVING ACCOUNT, FD, RD, PPF या MIS इत्यादि से कमाया उस पर टैक्स भी दिया! ऐसे
में हमें निवेश की ऐसे स्कीम या प्लान चाहिए जहाँ कम से कम हमें ब्याज पर टैक्स न देना पड़े!
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